एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर ने पीजी स्टूडेंट्स के सोशल मीडिया ग्रुप में लिखा- ‘सुसाइड कर रहा हूं...’, सजगता से बची जान

जोधपुर. एम्स के एक रेजिडेंट डॉक्टर ने करीब पांच साल पहले एमबीबीएस करने के दाैरान अपनी फेसबुक पर 'जिंदगी चुनें, एमबीबीएस नहीं...' लिखा था, लेकिन शायद उनकी मनोस्थिति पांच साल बाद भी नहीं बदली। संभवतया इसी अवसाद के चलते उन्होंने गुरुवार को हॉस्टल रूम में खुदकुशी का प्रयास किया। यह बात भी उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखी। साथी पीजी स्टूडेंट्स के वाट्सएप ग्रुप में उन्होंने लिखा कि वह सुसाइड कर रहे हैं।



साथी डॉक्टर ने यह मैसेज देखा, तो उन्होंने सीनियर्स को इस बारे में बताया और कुछ ही देर में कुछ डॉक्टर्स हॉस्टल जा पहुंचे। कमरे का दरवाजा भीतर से बंद मिला, तो इसे तोड़कर खोला और बेहोशी की हालत में इमरजेंसी में लाकर उपचार किया, तो रेजिडेंट की जान बच गई। एम्स सूत्रों के अनुसार इस घटना से पहले भी ईएनटी विभाग के ही एक अन्य रेजिडेंट ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की थी। शास्त्रीनगर थानाधिकारी राजेश यादव ने बताया कि गुरुवार अपराह्न दो-ढाई बजे सूचना मिली कि एम्स के एक रेजिडेंट डॉक्टर ने खुदकुशी का प्रयास किया। बाद में जब पुलिस एम्स पहुंची तो पता चला कि खुदकुशी की कोशिश करने वाले डॉ. हार्दिक पांडे हैं, जो वर्तमान में एम्स से पीजी-सैकंड ईयर (ईएनटी) के स्टूडेंट हैं। 


डेढ़ साल से चल रहा मनोरोग का उपचार
अगस्त 2018 से वे मानसिक अवसाद का उपचार भी ले रहे हैं। डॉ. हार्दिक के पिता एम्स भोपाल में डॉक्टर हैं। फिलहाल, उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है और उनकी हालत खतरे से बाहर है। एम्स सूत्रों के अनुसार गुरुवार सुबह साढ़े ग्यारह-बारह बजे एम्स रेजिडेंट्स के पीजी स्टूडेंट ग्रुप में डॉ. पांडे का एक मैसेज आया था। इसमें खुद का अंतिम संदेश पैरेंट्स तक पहुंचाने की अपील के साथ स्वयं को बेहोशी की दवा सहित कई अन्य तरह के इंजेक्शन एक साथ मिलाकर ड्रिप के जरिए खुद को लगा सुसाइड करने की बात लिखी थी। इसके अंत में खुद के पैरेंट्स के नाम का सुसाइड नोट की कंप्यूटर फाइल उन तक पहुंचाने के लिए छोड़ी थी।


मैसेज देख चौंके साथी, तत्परता से दौड़े और बचा ली जान
एम्स सूत्रों के अनुसार गुरुवार सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे के बाद डॉ. पांडे का एक मैसेज रेजिडेंट्स डॉक्टर्स के वाट्सएप ग्रुप में आया था। इसे पांडे के साथी डॉ. अमन ने देखा, तो उन्होंने तत्काल इसकी जानकारी ईएनटी के डॉ. विक्रम को दी। वे उस समय ऑपरेशन थियेटर में थे, तो उन्होंने अपने साथी डॉ. कपिल को हॉस्टल जाकर डॉ. पांडे को देखने भेजा। उनके साथ कुछ अन्य डॉक्टर तेजी से हॉस्टल में डॉ. पांडे के कमरे पर पहुंचे, तो भीतर से बंद था। आवाज देने पर भी कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने दरवाजा तोड़कर खाेला। यहां भीतर डॉ. पांडे बेहोशी की हालत में मिले, तो सीपीआर देने के साथ-साथ उन्हें एम्स इमरजेंसी लाए। उपचार के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती किया।


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